अपने प्रेम के बीज
मुट्ठी में बंद कर
बो दिए मैंने
उदास सी रज्ज में
स्वप्न भरे प्रेम के बीज
रज्ज की कोख में
एक-एक कर के
बोये है सब बीज
कुछ यु ही हथेली
में रख धरा पर
बिखरा दिए इस उम्मीद
में की एक दिन जरूर
नवांकुर फूटेंगे रंग
भरे बीजो से फिर
खिल जाएगी उदास सी रज्ज
एक-एक रंग तेरा
खिलेगा प्रेम के रंग भरी
चुनार ओढ़ प्रेम की
खिलखिला उठेगी
रज्ज मेरी
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