आस मन में करवट
बदलती रहती है ,
तुम दरिया में सहरा,
तुम्हे पाऊ तुम्हारे पास जाऊ,
कैसे मगर कैसे ,
मै फूल घने जंगल का,
आती नही एक किरण जहाँ
देखती हूँ एक बिंदू ,
चमकता हुआ,
घने जंगल के ऊपर,
प्रकाश तुम्हारा मुझ तक ,
कभी न पहुँच पायेगा,
बस आस है ,हर साँस है
कभी तो आखिर कभी तो,
होगा कुछ ऐसा,
तेरी किरण मुझ तक ,
आ जायेगी,
No comments:
Post a Comment