सोच रहा हु
आज कुछ पुराना लिखू
तुम और मैं कैसे मिले
कैसे बात हुई हमारी
कैसे मैंने तुम्हे मनाया
कैसे और क्या क्या
कर तुम्हे अपना बनाया
पहले लगता था डर
तुझसे बिछुड़ने का
अब उस डर को कंही
दूर पहाड़ियों में छोड़ आया हु
अब तो हर वक़्त यही
एहसास साथ रहता है
तुम रहती हो हर वक़्त
पास मेरे बिलकुल पास
तुम्हारी कसम अब इस
सफर में हम दोनों
साथ-साथ बहुत दूर
निकल आये है
सोच रहा हु तुम्हे सब
आज बताओ
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