Saturday, 6 May 2017

सपने कितने मासूम होते हैं










तुमने जाते जाते मुझे
जो चॉकलेट दिया था न
उसे अभी तक संभाले रखा है,
पता नहीं क्यूँ लेकिन कई बार
उसे एकटक देखता रहता हूँ,
तुम्हारे होने का एहसास
दिखता है उसमे मुझे....
वैसे हम प्रेमियों के सपने भी
कितने मासूम होते हैं न,
साथ बिताए जाने वाले
लम्हों के आलावा ज़िंदगी से
और कहाँ कुछ चाहिए होता है भला....
मैं भी उन्हीं की तरह बहुत सलीके से
ज़िंदगी की नब्ज़ थामे
तुम्हारे साथ बढ़ना चाहता हूँ....

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !