Thursday 11 May 2017

नहीं लिख पाती हो तुम कवितायें







मुझे पता है
तुम अब तक 
नहीं लिख पाती हो 
कवितायें लेकिन 
सच कहु तो तुम्हारी
मुस्कान मुझे लगती है 
मेरे ऊपर लिखी गयी
तुम्हारी सबसे हसीन 
कविता होती है...
जब जब तुम्हे 
देखता हु मुस्कुराते हुए 
तब तब मेरी सारी कविताये
फीकी पड़ जाती है
तुम्हारी मुस्कान के आगे 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !