Tuesday 26 May 2020
Saturday 23 May 2020
सौन्दर्याघात !
स्फुटित मेरी श्वास है
स्तब्ध मेरे नयन है
हाय ! ये कैसा उसका
सौन्दर्याघात है
तेज़ बहुत उत्तेजित है
और उल्लसित है किन्तु
स्निग्ध उल्कापात सा है
ढुलमुलायी हवाओं में भी
जैसे कोई न कोई तो बात है
हाँ ये अतर्कित प्रेम का
उदित अनुदित उत्ताप है
मानो मुंदी-मुंदी रातों में
धूप सा वह उग आया है
मेरे पथरीले पंथ पर
दूब बन कर लहराया है
उसने मेरे हिय में ये कैसा
संदीप्त सनसनाहट मचाया है
अब तैर रही हैं लहरें और
और सागर को ही डूबाया है !
स्तब्ध मेरे नयन है
हाय ! ये कैसा उसका
सौन्दर्याघात है
तेज़ बहुत उत्तेजित है
और उल्लसित है किन्तु
स्निग्ध उल्कापात सा है
ढुलमुलायी हवाओं में भी
जैसे कोई न कोई तो बात है
हाँ ये अतर्कित प्रेम का
उदित अनुदित उत्ताप है
मानो मुंदी-मुंदी रातों में
धूप सा वह उग आया है
मेरे पथरीले पंथ पर
दूब बन कर लहराया है
उसने मेरे हिय में ये कैसा
संदीप्त सनसनाहट मचाया है
अब तैर रही हैं लहरें और
और सागर को ही डूबाया है !
तुझे मैं करूँगा प्यार !
तेरे रूप का ये श्रृंगार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझे मैं करूँगा प्यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझ से दुनिया होती आबाद
फिर तू क्यूँ होती पहले बर्बाद
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझे मैं करूँगा प्यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
कुछ अपने जवानों की गफलत
कर बैठे जवानी में जो उल्फत
खुशियों का महल आबाद किया
लेकिन खुद को पहले बर्बाद किया
और कितने मिले तुझे बीमार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझे मैं करूँगा प्यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
अच्छे अच्छे गिर जाते है
बस एक तेरी अंगड़ाई में
एक लम्हे में डस लेती है
नागिन बनकर पुरवाई में
मेरे सिवा तेरा कौन बनेगा यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझे मैं करूँगा प्यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तेरे रूप का ये श्रृंगार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझे मैं करूँगा प्यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझे मैं करूँगा प्यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझ से दुनिया होती आबाद
फिर तू क्यूँ होती पहले बर्बाद
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझे मैं करूँगा प्यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
कुछ अपने जवानों की गफलत
कर बैठे जवानी में जो उल्फत
खुशियों का महल आबाद किया
लेकिन खुद को पहले बर्बाद किया
और कितने मिले तुझे बीमार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझे मैं करूँगा प्यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
अच्छे अच्छे गिर जाते है
बस एक तेरी अंगड़ाई में
एक लम्हे में डस लेती है
नागिन बनकर पुरवाई में
मेरे सिवा तेरा कौन बनेगा यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझे मैं करूँगा प्यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तेरे रूप का ये श्रृंगार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
तुझे मैं करूँगा प्यार
अरे रे बाबा हां बाबा -2
Friday 22 May 2020
विकल विरह !
हर साँझ पहर जब
देवालय देवालय में
दीपक जल सिहरता है !
तब तब लौ उसकी
उठ उठ कर मानो
ऐसे लपकती है !
मानो जैसे कोई
विकल विरह तब
तब पिघलता है !
साँझ के धुंधलके में
क्षण-क्षण संकोचित
संगम होता रहता है !
फिर नदी सागर
को खुद में जैसे
डुबोती है !
प्राणों में प्रतीक्षातुर
प्रीत लिए दिन फिर
रात में खो जाता है !
देवालय देवालय में
दीपक जल सिहरता है !
तब तब लौ उसकी
उठ उठ कर मानो
ऐसे लपकती है !
मानो जैसे कोई
विकल विरह तब
तब पिघलता है !
साँझ के धुंधलके में
क्षण-क्षण संकोचित
संगम होता रहता है !
फिर नदी सागर
को खुद में जैसे
डुबोती है !
प्राणों में प्रतीक्षातुर
प्रीत लिए दिन फिर
रात में खो जाता है !
Thursday 21 May 2020
विकल विरह !
हर साँझ पहर जब
देवालय देवालय में
दीपक जल सिहरता है !
तब तब लौ उसकी
उठ उठ कर मानो
ऐसे लपकती है !
मानो जैसे कोई
विकल विरह तब
तब पिघलता है !
साँझ के धुंधलके में
क्षण-क्षण संकोचित
संगम होता रहता है !
फिर नदी सागर
को खुद में जैसे
डुबोती है !
प्राणों में प्रतीक्षातुर
प्रीत लिए दिन फिर
रात में खो जाता है !
भाव निरक्षर !
माना कि भाव निरक्षर होते है ,
पर अक्षरों को वो ही साक्षर करते है ,
भावों के अंतरदृग जो देख पाते है ;
वो ये आखर कभी नहीं देख पाते है ,
भाव देख पाते है सुन भी पाते है ,
पर विडम्बना तो देखो बोल नहीं पाते है ;
अक्षर लिखते भी है दिखते भी है ,
पर भावों की तरह महसूस कहा पाते है ,
मन की अक्षर जब साक्षर हो जाते है ,
तो वो मान प्रतिष्ठा और पद पाते है ;
पर भाव शुद्ध होकर भी ये सब कहा पा पाते है ,
हाँ वो विशुद्ध हो कर ईश को जरूर पा लेते है !
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