Friday, 18 May 2018

भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी




भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी
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बदल सकता है,प्रेम का रंग ;
बदल सकता है ,मन का स्वभाव ;
बदल सकती है ,जीवन की दिशा ;
बदल सकती है ,हृदय की गति ;
लेकिन तुम्हे ,करनी होगी ;
मदद उस ईश की जिसने लिख कर 
भेजा था तुम्हारा भाग्य; 
अकेले नहीं उठाना चाहता वो 
इतना भार अब अपने कंधो पर
जब देख लिया उसने तुम्हारी 
कोशिश बदलने की अपने भाग्य को   
जब देख लिया उसने तुम्हारी इक्षाशक्ति को 
और देखकर तुम्हारा समर्पण अब चाहता है वो 
इसमें तुम्हारी भी मदद ताकि लिख सके 
तुम्हारा भाग्य एक बार फिर से तुम्हारे कर्मो के अनुसार 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !