सांस है मेरी वो
__________वो जो सांस है
ज़िन्दगी की मेरी
अपनी ही गति
से बहती है अभी;
होकर बिलकुल बेखबर
दर्द से मेरे ;
और बेअसर मेरी
छुवन से अभी तलक;
मगर जिन्दा रखे
हुए है अभी तलक;
वो मुझे जो अपनी
शीतल छुवन से
हर तपन से आज़ाद
करती है मुझे;
उसकी खामोश
उपस्थिति अब तलक
करती है तर्क-वितर्क;
जो साँस है मेरी
ज़िन्दगी की अब
भी बहती है अपनी
ही गति से होकर
बिलकुल बेखबर
मेरे हर दर्द से !
No comments:
Post a Comment