खुशियों की घण्टिया !
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इसी मन के मंदिर में
बहती है शिवाया और भागीरथी
इसी मन के मंदिर में
खिलते हैं दुनिया के सभी दुर्लभ
पुष्प भी खिलते है
इसी मन के मंदिर में
सह्दुल भी पाए जाते है
इसी मन के मंदिर में
नौ रंग के पंखों वाली
पिट्टा चिड़िया भी फड़फड़ाती है
इसी मन के मंदिर में
छिपी रहती है सारी
सृस्टि की कराहटें और
इसी मन के मंदिर में
बजती है खुशियों की घण्टिया !
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