Monday, 21 May 2018

मैं तुमसे बातें करती हूँ !



मैं तुमसे बातें करती हूँ !-----------------------------

मैं तो जब भी  
करती हूँ तुमसे बातें 
अपने आप को पा लेती हूँ 
,न दिखावा ,
न छलावा,
न बनावट ,
न सजावट ,
बस अपने मन की 
परतों को खोलती जाती हूँ,
और मेरे साथ साथ 
तुम भी मंद-मंद मुस्कुराते हो,
अपनी अँखिओं के कोरों से 
मेरी मस्ती,मेरी चंचलता ,
मेरा अल्हड़पन ,मेरा अपनापन ,
मेरा यौवन थाम लेते हो 
अपने हांथो में तब 
मैं काँप जाती हूँ ,
और नाज़ुक लता सी ,
लिपट जाती हूँ मानकर 
तुम्हे अपनी शाख से ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !