Tuesday 15 May 2018

जन्मदिन


जन्मदिन----------

आज ही के दिन 
ठीक रात के लगभग 
इसी वक़्त जब घडी में 
आठ बजकर दस मिनट 
हो रहे थे तो मैं भी अपनी 
माँ के गर्भ से निकल उनके 
पैरों में आ गिरा था जैसे 
आटे का लौंदा आ गिरता है 
तवे पर रोटी-सा सिंकने के लिए 
बिलकुल नरम और लाचार
जिसे समय खुद-ब-खुद  
आकार देता है जैसा विधाता 
ने लिख कर भेजा होता है 
उसका भाग्य जिसे करना ही 
होता है उसे सहर्ष स्वीकार 
और कितने गर्व की बात है 
की हर एक बच्चा गवाह होता है 
अपने माँ-और पिता के अनुराग का  
ठीक वैसे ही आज कोई मुझे 
चाहे या ना चाहे लेकिन हु तो 
मैं भी निशानी अपने-माँ-पिता 
के प्रेम और अनुराग की !  
  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !