Tuesday, 29 May 2018

मेरे शब्दों में उतरे तुम्हारे भाव सदा


मेरे शब्दों में उतरे तुम्हारे भाव सदा 
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तुम्हे चाहने के लिए 
अपनी साँसों से
तुम्हारे विकल हृदय को 
खुश रखना चाहता हु सदैव;
तुम्‍हारे भाव मेरे शब्दों में 
यु ही उतरते रहे सदा 
इसलिए तुम्हारी रज्ज से 
जुड़ा रहना चाहता हु सदैव;
भविष्‍य में तुम्हारे भाव 
और सुंदर हो इसके लिए 
तुम्हारी रूह को महसूसता 
रहना चाहता हु सदैव;
तुम्हारी आँखों में उतर आए
हरी कोख का आनंद 
इसलिए तुम्हारी कोख को 
सींचता रहना चाहता हु सदा ;
तुम्हारे होंठ सदा यु ही गुलाबी
और रसभरे बने रहे ; 
इसलिए मेरे शहद रूपी 
अक्षरों को तुम्हारे होंठो पर 
रख कर ही सोता हु सदा ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !