Wednesday, 7 June 2017

मैं जिए जा रहा हु

अक्सर ही मुझे 
यु लगता है
तुम मेरे आस -पास 
ही हो और मैं तुम्हें
पहचान रहा होता हूँ 
अक्सर होता है
ये भ्रम मुझे
शीशे के उस
पार तुम हो
मैं तुम्हें चाह कर भी
छू नहीं पा रहा हूँ ...
अगर ये भ्रम है 
 तो भी यह
मेरे जीवन का
आधार है तुम्हारे 
मेरे साथ और मेरी 
होने के अहसास 
ही को मैं जिए जा रहा 
हु अब तक  ...

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !