Tuesday, 27 June 2017

मेरी हर साँस

चाहे मैं चुप रहु
कुछ ना बोलू 
मेरी चुप्पी को भी 
तुम सुन लेती हो  ...
कैसे ...!
आज भी मैं बिन बोले
चला गया था 
तो क्या तुम 
अनसुनी रह गयी 
मेरी बातें ,
मेरी हर साँस तुझे ही
आवाजें देती है
चाहे मैं कुछ ना बोलू  ...
ये तू जान गयी है 
और इसलिए तुम 
थोड़ी अब लापरवाह 
हो गयी हो ?

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !