Friday, 30 June 2017

कभी-कभी बन आंसू 

भावनाए बहती है
मन में....
सब कुछ ही तो  
कह देना चाहती है....
पर कई बार वो  
खो जाती है मन सागर में 
किसी लहर की के निचे 
दबकर ज्यूँ कोई अनजान 
भंवर लीन लेता है खुद में ,
कई चीज़ो को लहरों के संग 
वैसे ही भावनाएं मन में उठती है 
और मन ही में मर जाती है...
या कभी-कभी तो बन आंसू 
खुद अपनी मौत बन जाती है...
कभी कोई अधूरा चित्र बन 
अपनी लाचारी कहती है...
या कभी-कभी पाकर 
कलम का सहारा कविता 
बन जाती है...
जब भावनाए बहती है
मन में....

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !