अक्सर एक प्यार करने वाला
अपने प्यार से यही कहता है
कि तुम्हारे लबों पर हंसी
ही देखना चाहता हु मैं
और प्यार करने वाली के
लब तो मुस्कुराने लगते है
लेकिन वो अपने नयन को
कैसे समझाए जो उसके
दूर जाते ही छलक आते है
क्या प्यार करने वाले को
ये नहीं पता होता की कहना
तो दिमाग मानता है दिल नहीं
दिमाग से कह कर चला जाता है
और दिमाग का कहा मानकर
लब मुस्कुराने लगते है
पर दिल का दर्द आँखों से
अक्सर ही छलक आता है
अपने प्यार से यही कहता है
कि तुम्हारे लबों पर हंसी
ही देखना चाहता हु मैं
और प्यार करने वाली के
लब तो मुस्कुराने लगते है
लेकिन वो अपने नयन को
कैसे समझाए जो उसके
दूर जाते ही छलक आते है
क्या प्यार करने वाले को
ये नहीं पता होता की कहना
तो दिमाग मानता है दिल नहीं
दिमाग से कह कर चला जाता है
और दिमाग का कहा मानकर
लब मुस्कुराने लगते है
पर दिल का दर्द आँखों से
अक्सर ही छलक आता है
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