मेरे लिए मुश्किल होगा
तुम्हारे संवाद के बिना जीना...
तुम्हारी आवाज़ जिस दिन
ना सुनू तो लगे
जैसे दिन जिया ही नहीं....
तुम्हारी आँखों में
जो न झाँकू तो
समंदर भी सहरा सा लगे है...
तुम्हारे बिना न तो कोयल गाती....
न ही फूल खिलते हैं....
न सागर ठाठें मारता है....
और न ही हवाएं बहती हैं.....
तुम्हारे बिना मेरी
सांसें चलती नहीं
बस एक बुझे हुए दिए की
लौ की तरह थरथराती है......
तुम्हारे संवाद के बिना जीना...
तुम्हारी आवाज़ जिस दिन
ना सुनू तो लगे
जैसे दिन जिया ही नहीं....
तुम्हारी आँखों में
जो न झाँकू तो
समंदर भी सहरा सा लगे है...
तुम्हारे बिना न तो कोयल गाती....
न ही फूल खिलते हैं....
न सागर ठाठें मारता है....
और न ही हवाएं बहती हैं.....
तुम्हारे बिना मेरी
सांसें चलती नहीं
बस एक बुझे हुए दिए की
लौ की तरह थरथराती है......
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