Friday, 30 June 2017

बस थोड़ी सी ख़ुशी


सब कुछ तो है,
थोड़ी सी ख़ुशी ,
थोडा सा सुकून;
और थोडा सा 
चैन ही तो नहीं है!
और हाँ आस भी तो है!
सब कुछ तो है,
छोटी सी ज़िन्दगी,
पाषाण सा तन,
और ये शिला सा स्थिर 
मन सब यही है!
और हाँ रुकी-रुकी सी 
सांस भी तो है!
देखा;सब कुछ तो है,
बस थोड़ी सी ख़ुशी ,
थोडा सा सुकून;
और थोडा सा 
चैन ही तो नहीं है!

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !