Wednesday, 21 June 2017

मैं जानना चाहता हूँ तुम्हें



मैं जानना चाहता हूँ तुम्हें
जैसे
फूल जानता है गंध को 
मैं जानना चाहता हूँ तुम्हें
जैसे
पानी जानता है स्वाद को 
मैं जानना चाहता हूँ तुम्हें
जैसे
धरती जानती है जल पीना
मैं जानना चाहता हूँ तुम्हें
जैसे
बीज जानता है अपने फल को , 
मैं जानना चाहता हूँ तुम्हें
जैसे
हवाएँ पहचानती हैं 
मानसूनी बादल को 
जैसे बादल जानते हैं 
धरती की प्यास को 
मैं जानना चाहता हूँ तुम्हें
जैसे
शब्द जानते हैं अपने अर्थ

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !