Friday, 16 June 2017

चाँद रहे सदा गवाह


एक ख्वाबो वाली रात 
तुम मैं और वो चाँद      
सब हो पागल
सब हो बहके..........
चाँद और बादलों के गुच्छे
उलझ पड़े बार बार
मेरी तुम्हारी तरह......
विस्तृत आकाश
समेटे चाँद को
जैसे मेरे आगोश में
सिमटी रहो तुम .....
वो रात ना गुजरे कभी .....
बादल ना 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !