Friday, 30 June 2017

मुझ से तुम हो


वेश बदल कर
भी मिलोगे तो 
भी आहटें पहचान 
लुंगी    ..
लब सिल कर रखोगे  
लेकिन नज़रों 
का बोलना ना
छुपा पाओगे   ...
चलते -चलते राह
बदल दोगे पर 
ये पगडंडियाँ ना
छोड़ पाओगे  ...
मिलोगे भी नहीं
बात भी नहीं करोगे
पर मेरे सपनो में 
आना कैसे 
छोड़ पाओगे तुम  ...
तुम से मैं हूँ
मुझ से तुम हो
हर बात मुझसे जुडी है
तुम मुझसे ना
छुपा पाओगे ...

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !