Thursday, 29 June 2017

भूरी-भूरी आंखे

दो भूरी-भूरी आंखे
झपकाते हुए ,
मैं अक्सर 
तुम्हारी तस्वीर में
अपनी खुसी खोजता हूँ ...
वो खुसी जो कभी 
मैंने तुम्हें दी थी  ,
तुम्हारा हाथ थामकर 
तुम्हारी सागर की सी 
गहराई लिए दो आँखों  ,
को एक टक देखते हुए ...
कहा था सदा यु ही 
एक टक देखते रहना
चाहता हु मैं तुम्हारी इन 
दो काली काली आँखों में 
दो भूरी-भूरी आंखे
झपकाते हुए ,
मैं अक्सर 
तुम्हारी तस्वीर में
अपनी खुसी खोजता हूँ ...

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !