दो भूरी-भूरी आंखे
झपकाते हुए ,
मैं अक्सर
तुम्हारी तस्वीर में
अपनी खुसी खोजता हूँ ...
वो खुसी जो कभी
मैंने तुम्हें दी थी ,
तुम्हारा हाथ थामकर
तुम्हारी सागर की सी
गहराई लिए दो आँखों ,
को एक टक देखते हुए ...
कहा था सदा यु ही
एक टक देखते रहना
चाहता हु मैं तुम्हारी इन
दो काली काली आँखों में
दो भूरी-भूरी आंखे
झपकाते हुए ,
मैं अक्सर
तुम्हारी तस्वीर में
अपनी खुसी खोजता हूँ ...
झपकाते हुए ,
मैं अक्सर
तुम्हारी तस्वीर में
अपनी खुसी खोजता हूँ ...
वो खुसी जो कभी
मैंने तुम्हें दी थी ,
तुम्हारा हाथ थामकर
तुम्हारी सागर की सी
गहराई लिए दो आँखों ,
को एक टक देखते हुए ...
कहा था सदा यु ही
एक टक देखते रहना
चाहता हु मैं तुम्हारी इन
दो काली काली आँखों में
दो भूरी-भूरी आंखे
झपकाते हुए ,
मैं अक्सर
तुम्हारी तस्वीर में
अपनी खुसी खोजता हूँ ...
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