तुमसे अच्छा मुझे
तुम्हारा नाम लगता है
जो रहता है हमेशा ही
मेरे आस -पास
महका -महका सा ...
जब धीमे से गुनगुनाता हूँ
तुम्हारा नाम
हवा में घुल कर
महका जाता है हवा को ...
कभी -कभी मुझे ,
खिड़की से झांकती
रेशमी - मुलायम सी ,
सुबह के सूरज की
पहली किरण सा लगता है ...
तो कभी मुझे वो
सर्द रातों में
गर्म लिहाफ सा
मुझे तुमसे भी
अच्छा लगता है ...
तुम्हारा नाम
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