Monday, 12 June 2017

तुम्हारा नाम


तुमसे अच्छा मुझे 
तुम्हारा नाम लगता है 
जो रहता है हमेशा ही  
मेरे आस -पास 
महका -महका सा ...
जब धीमे से गुनगुनाता हूँ 
तुम्हारा नाम
हवा में घुल कर
महका जाता है  हवा को ...
कभी -कभी  मुझे ,
खिड़की से झांकती 
रेशमी - मुलायम सी ,
सुबह के  सूरज की
पहली किरण सा लगता है ...
तो कभी मुझे वो 
सर्द रातों में 
गर्म लिहाफ सा 
मुझे तुमसे भी 
अच्छा लगता है ...
तुम्हारा नाम 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !