Friday, 9 June 2017

कभी अंजुरी भर कर देखना

मैंने नहीं लिखा तुम्हारा 
नाम किसी ऐसी जगह
जो धुंधला जाते हो नाम
मैंने तुम्हारा नाम ,
सागर किनारे लिखा
तुम चाहो तो
कभी अंजुरी भर कर
देखना या फिर
किसी लहर पर
कोई किरण को
झिलमिलाते देखना
दिखेगा तुम्हे मेरा
लिखा वो तुम्हारा
नाम उन लहरों पर
तुम्हे लिखा नज़र आएगा
हर लहर के साथ
उनलहरो को देख
याद आएगा तुम्हे
मेरा हर पागलपन
तुम्हारे लिए 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !