स्मृतियों में ले जाता आया
हु मैं तुम्हे आज तक
अपने घर इस
विस्वास के साथ की
एक दिन तुम खुद
आओगी मेरे पीछे-पीछे
वही चमक अपनी
आँखों में लिए जिनसे
तुमने दिया था मुझे
पुर्नजन्म और अपनी
मुस्कराहट को सहेजने
मेरी ऊपर निचे होती
सांसो में और मुझे मानोगी
इस काबिल की मैं
तुम्हारे अपनेपन के
अंतरग स्पर्श के चिन्हो
को तरुणाई के साथ
रख सकूंगा सदा सदा
के लिए अपनी दहलीज़
ही नहीं बल्कि हृदय
के अंदर
हु मैं तुम्हे आज तक
अपने घर इस
विस्वास के साथ की
एक दिन तुम खुद
आओगी मेरे पीछे-पीछे
वही चमक अपनी
आँखों में लिए जिनसे
तुमने दिया था मुझे
पुर्नजन्म और अपनी
मुस्कराहट को सहेजने
मेरी ऊपर निचे होती
सांसो में और मुझे मानोगी
इस काबिल की मैं
तुम्हारे अपनेपन के
अंतरग स्पर्श के चिन्हो
को तरुणाई के साथ
रख सकूंगा सदा सदा
के लिए अपनी दहलीज़
ही नहीं बल्कि हृदय
के अंदर
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