Thursday, 29 June 2017

एक दिन तुम आओगी 


मैं इसी आस      
मैं ही जीता हूँ
और इसी आस 
में मग्न भी रहना 
चाहता हु जिसमे 
मुझे यूँ भी लगता है
एक दिन तुम आओगी 
और मेरे कंधे पर धीरे 
हाथ रखोगी और 
मैं पलट कर देखूंगा  ,
तुम्हे अपने सामने
ही पाऊंगा ...

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !