Tuesday, 13 June 2017

तू नहीं नज़र आयी 


तेरी तलाश
कहाँ -कहाँ न की मैंने ,
मुझे बस,तू ही तू
आयी  नज़र हर जगह  …
हर जगह
नज़र आयी बस तू ही
फिर भी
ना जाने क्यूँ लगता है मुझे
बस तुझे ही देखूं
जहाँ तक नज़र जाए  ….
दिल के
छोटे से कोने में
देखा जब झाँक कर
वहां भी नज़र तू ही आयी मुझे   ….
इस जहां की
हर शह में
बस एक तू ही नज़र आयी मुझे   ,
तू नहीं नज़र आयी 
तो सिर्फ
मेरी हाथों की लकीरों ही में  …।

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !