Thursday, 1 June 2017

सावन की दस्तक


देखो सावन की 
दस्तक दे रही है
एक बार फिर ये हवाएं
कंही बिजली है
चमक रही और
कंही बादल है
कड़क रहे ऐसे में
मुझे बस एक तुम
याद आ रही हो
अभी तुम कंहा
और मैं हु कंहा
तन्हाईयाँ आग
लगा रही है
अब भी देखु मैं
ये मौसम या देखु
अब भी तेरी मज़बूरियां 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !