Wednesday, 7 June 2017

जैसा तुम चाहती हो

आपूर्तियों को पूर्ण कर
जैसा तुम चाहती हो 
वैसा कर देना चाहता हु मैं 
तुम्हे मस्त मौला सा वही 
पहर दे देना चाहता हु 
चाहे कैसे भी हो आकर्षक
देह का वही अक्स उतार 
देना चाहता हु तुझमे 
बर्फ की सिल्लियों सी 
पिघलती हुई हमारे मध्य 
की भाव भंगिमाएं चुन चुन 
के अपने अनुराग के
सिल्की मज़बूत धागे में 
पिरो देना चाहता हु मैं     

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !