भावनाए जब बहती है
मन में...
समेटे खुद में ढेरो ज़ज़्बात
उढेल देना चाहती है
किसी ऐसे पर जो हो
सिर्फ उसका जिसे फिक्र हो
सिर्फ उसकी और फिर
भावनाएं उतर कर अपनी
लज़्ज़ा का चोला न्योछावर
करती है अपना सबकुछ
उसको और समेत लेती है उसे
अपने आलिंगन में तब वो
हो जाती है एक सम्पूर्ण
अभिव्यक्ति
भावनाए जब बहती है
मन में...
मन में...
समेटे खुद में ढेरो ज़ज़्बात
उढेल देना चाहती है
किसी ऐसे पर जो हो
सिर्फ उसका जिसे फिक्र हो
सिर्फ उसकी और फिर
भावनाएं उतर कर अपनी
लज़्ज़ा का चोला न्योछावर
करती है अपना सबकुछ
उसको और समेत लेती है उसे
अपने आलिंगन में तब वो
हो जाती है एक सम्पूर्ण
अभिव्यक्ति
भावनाए जब बहती है
मन में...
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