Monday, 26 June 2017

इंतजार करता हूँ तुम्हारा

कितनी बार और 
किस -किस तरह बताऊँ तुम्हें
कितना इंतजार करता हूँ 
तुम्हारा और 
एक तुम हो कि  
अपना चेहरा दिखला कर 
फिर से गुम हो जाती हो ...
सोचा था 
इस बार जब तुम आओगी  
थामकर हाथ तुम्हारा 
उस बाग़ में लेकर जाऊँगा  ...
और कह दूंगा 
अपने मन की बात 
तुम्हारा चेहरा नहीं देखा जाता 
अब मुझसे चाँद में ...

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !