Thursday, 8 June 2017

लब्जों की खूबसूरती


कितना सच है 
ये कहा की 
सिर्फ एहसासो से होती
मोहोब्बत अगर 
इन लब्जों को 
खूबसूरती कौन देता 
बस पत्थर बनकर
रह जाता ताजमहल
अगर इश्क़ इसे अपनी
पहचान नहीं देता 
अमर होता है प्रेम 
तभी जब प्रेमी अपनी 
प्रेमिका और प्रेमिका 
अपने प्रेमी को लब्जो 
से संवार नहीं देते 
और उन लब्जो को 
आसमान खुद में 
कैद नहीं कर लेता         

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !