हा तुम जब जब भी
पुकारती हो मुझे
मैं मौन नहीं रह पाया कभी
पर मेरे पुकारने पर तुम
मौन ही रहती हो अक्सर ?
तुम्हारा मौन रहना मुझे
अखरता ही गया
पर तुमसे ज्यादा तो
तुम्हारा मौन ही मुखर
हो कर बोलता रहा
और मैं सुनता रहा अपनी
पलकें नम करके
और फिर तुम्हारे जाने
के बाद अक्सर ही
खुद को तुम्हारे मौन
और तुम्हारे एहसास से
ही घिरा पाता हु मैं
पुकारती हो मुझे
मैं मौन नहीं रह पाया कभी
पर मेरे पुकारने पर तुम
मौन ही रहती हो अक्सर ?
तुम्हारा मौन रहना मुझे
अखरता ही गया
पर तुमसे ज्यादा तो
तुम्हारा मौन ही मुखर
हो कर बोलता रहा
और मैं सुनता रहा अपनी
पलकें नम करके
और फिर तुम्हारे जाने
के बाद अक्सर ही
खुद को तुम्हारे मौन
और तुम्हारे एहसास से
ही घिरा पाता हु मैं
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