वह ! तुम ही थी
साँसों में चमक के लिए
गहराई से मुझे
पुनर्जन्म देनेवाली
तुम्हारी मुस्कुराहट
की खुसबू
मुझे तुम तक
समेटती-सहेजती है
मैं तुम्हें घर ले जाता हूँ
अपनी स्मृतियों और
विचारों की
झोली में भरकर
रोज रोज किंयूंकि शायद
तुम्हारी नजरो में अभी
मैं इस काबिल नहीं कि
तुम्हारे अपनेपन के अंतरंग
स्पर्श के चिह्नों को
तरुणाई के साथ
अपनी दहलीज़ के अंदर
ले जा सकु
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