Tuesday, 26 May 2020

बूंदें !


कुछ बूंदें
जैसे-तैसे
हाथ तो लग गई ,

अब कोई
ऐसा चाहिए
जो इनके
उद्गम का
पता बता सके ,

ताकि उसी
रस्ते पर
चलकर मैं
इसके सागर
को पा सकूँ !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !