Friday, 12 May 2017

पिघलता है चाँद











पिघलता है चाँद
आसमान की बाहो में
और सितारो की रोशनी में 
कोई मासूम सी कली 
सोती है
रूह में बस जाता है
कुछ सरूर समा का
सादगी में डूबी ज़िंदगी 
एक तस्वीर होती है 
है बस यही लम्हे 
मेरे पास इस ज़िन्दगी की  
कुछ पल ही सही 
मेरी रूह एक सकुन में 
खो जाती है !!

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !