Saturday, 20 May 2017

बून्द बून्द प्यार









तेरे आलिंगन में 
सिमटता फैलता 
सा मैं  ...
हर साँस तेरी
अपनी सांसो में 
लेता हु समेट मैं 
बून्द बून्द मेरे 
प्यार की तेरी 
रूह में उढेल 
देता हु मैं 
और मरते मरते 
एक बार फिर से 
जी लेता हु मैं 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !