तुम्हारे जाने के बाद
एक कोने में बैठकर
निहारता रहा मैं युहि
पूरा का पूरा कमरा
तुम बिखरी हुई थी
उस हेंगर पर जंहा
तुम्हारी साड़ी टंगी थी
चादर की सिलवटों में
सोफे पर जंहा बैठकर
कुछ पिया था तुमने
पुरे कमरे की सौंधी महक
में चाह कर भी नहीं
समेट पाया था मैं
और रहने दिया यु ही
हमेशा-हमेशा के लिए
जेहन में तभी तो आज तक
वो पहला मिलन अधूरा है
और वो अधूरा मिलन
मांग कर रहा है और-और
इसलिए जेहन में उसी पहले
मिलन की तरह बिखरी पड़ी हो
जिसे मैं समेटना ही नहीं चाहता
एक कोने में बैठकर
निहारता रहा मैं युहि
पूरा का पूरा कमरा
तुम बिखरी हुई थी
उस हेंगर पर जंहा
तुम्हारी साड़ी टंगी थी
चादर की सिलवटों में
सोफे पर जंहा बैठकर
कुछ पिया था तुमने
पुरे कमरे की सौंधी महक
में चाह कर भी नहीं
समेट पाया था मैं
और रहने दिया यु ही
हमेशा-हमेशा के लिए
जेहन में तभी तो आज तक
वो पहला मिलन अधूरा है
और वो अधूरा मिलन
मांग कर रहा है और-और
इसलिए जेहन में उसी पहले
मिलन की तरह बिखरी पड़ी हो
जिसे मैं समेटना ही नहीं चाहता
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