मैं हँसना चाहता हूँ ,
बिना किसी खास
वजह के ही खुद
से बक-बक
करना चाहता हूँ,
दिल करता है
खूब ज़ोर से
चीखूँ-चिल्लाऊँ...
खुद को इस
दुनिया की भीड़ में
झोंक देना चाहता हूँ,
थोड़ी देर के लिए
ही सही खुद को
भूल जाना चाहता हूँ...
अपने चेहरे से जुड़ गए
अपने वजूद,अपने नाम
को अलग कर
देना चाहता हूँ...
खुद के मौन से
जो दूरी मैंने बना ली थी
वही मौन दोबारा
मुझे घेरता जा रहा है...
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