Thursday, 25 May 2017

अपना विस्वाश तुम्हे दे दिया   ...


उस एक दिन जो 
मैंने कहा था तुम्हे 
तुम्हारे हाथो को थामकर 
वो सब मैंने पूरा किया 
तुम्हारे दर्द भी लिए
अपने सुर भी तुम्हे दिए
तुम्हारी पलकों पर अपने
सारे ख्वाब भी रख दिए 
गले लगाकर अपने सारे 
एहसास भी तुम्हे दे दिए
और तुम्हारी आँखों में 
आँखे अपनी डाल कर
कह भी दिया प्यार 
मैं सिर्फ एक तुम्ही   
से करता हु प्यार और अपना
सारा विस्वाश तुम्हे दे दिया   ...
पर ये क्या जब तुम्हारी 
बारी आयी तो तुम 
यंहा हो ही नहीं ? किन्यु    

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !