Thursday, 11 May 2017

एक सिरा बांध रखा है













उलझे हुए हुये 
इन धागों के कोने में,
एक हल्की सी 
गांठ बांध रखी है 
तुम्हारे नाम की, 
चाहे कितने भी 
उलझ जाए ये  
ज़िंदगी से हमेशा ,
ये जुड़ा रहेगा 
कि मेरा एक 
सिरा बांध रखा है 
तुमने हमेशा 
हमेशा के लिए....
तुम्हारे सिरे से 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !