Monday, 8 May 2017

तन्हाई का दर्द












ये तन्हाई का दर्द 
दिल में बहुत ज़ोर से
उठता है अक्सर
ही आधी रात को ,
इस चुभन को
सहते हुए मैं
रो लेता हूँ सुकून से
कुछ पल के लिए...
और आँखें धोकर
जब देखता हु
खिड़की से तो
सुबह हो चुकी होती है
चारो तरफ उजाला ही उजाला
शायद तुम फिर से
व्यस्त हो चुकी
होती हो अपनी
दिनचर्या में जैसे
कुछ होता ही नहीं
है रातो को अ
क्सर 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !