Monday, 8 May 2017

तुम्हारी शक्ल के साथ












आसमां की झूलती 
खिड़कियों पे एक
आईना लगा देना चाहता हु ,
ठीक वैसे ही जैसे
मेरी खिड़की पे लगा है...
आईना जिसमे तुम्हारी शक्ल
आधी दिखती है तो
मैं कहता हु तुम्हे
आईना थोड़ा नीचे कर दो
और वैसे ही मैं
आसमां भी झुका दूंगा
ताकि तुम देख सको
खिड़की के उस पार
तुम्हारी शक्ल के साथ
भी मेरा इश्क कितना गहरा है ....

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !