Monday, 22 May 2017

यही अनकहा 






पीछे से टिकाया 
जो मैंने  ...
तुम्हारी पीठ पर 
अपना सर  ...
सकूँ सा मुझे मिला 
तुम्हे भी लगा 
अपनापन सा  ...
महसूस कर सकती हो तुम 
अब मेरे दिल की 
हर एक बात जो 
अब तक नहीं कही थी मैंने 
अब तो सहलाकर मेरे बालो को 
तुमने भी दे दी है मुझे" हामी "
जैसे समझ गयी हो तुम 
मेरा अनकहा झट से 
शायद यही अनकहा 
आज भी काम आ रहा है 
मिलो दूर हो तुम मुझसे
फिर भी तुम्हारा
एहसास मुझे महका रहा है   

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !