सच कहा तुमने
सब्द बोलते है मेरे
लेकिन कब क्या
पता है तुम्हे ?
जब तुम उन्हें
कंठ लगाती हो
मुखर हो उठते है वो
जब प्यार से उन्हें
सहला देती हो तुम
जाग जाते है वो
नींद से और सारा
खुमार उतर जाता है उनका
जीने लगते है वो
तुम्हारे कंठ से वो
भावो सहित कह उठते है
उतर जाते है वो
तेरे हृदय में फिर से
एक बार अपना जीवन
जीने को उत्सुक हो उठते है
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