Monday, 22 May 2017

जब तुम कंठ लगाती हो










सच कहा तुमने 
सब्द बोलते है मेरे
लेकिन कब क्या 
पता है तुम्हे ?
जब तुम उन्हें 
कंठ लगाती हो 
मुखर हो उठते है वो
जब प्यार से उन्हें
सहला देती हो तुम 
जाग जाते है वो 
नींद से और सारा 
खुमार उतर जाता है उनका
जीने लगते है वो
तुम्हारे कंठ से वो
भावो सहित कह उठते है 
उतर जाते है वो 
तेरे हृदय में फिर से 
एक बार अपना जीवन
जीने को उत्सुक हो उठते है 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !