सच कहु तो
अच्छा लगता है मुझे
तुम्हारे सामने बिखरना
तुम जब समेटती हो और
जिस तरह समेटती हो
मुझे वो मेरे दिल को भाता है
एक सा तापमान नहीं रहता सदा
जब पिघलना होता है
तो बर्फ सा जम जाता हु
जब जमना होता है तो
तेरे एक हलके से एहसास से
पिघल जाता हु मैं
ये तेरा टूटकर मुझे चाहना
मुझे बहुत भाता है
सच कहु तो
अच्छा लगता है मुझे
तुम्हारे सामने बिखरना
अच्छा लगता है मुझे
तुम्हारे सामने बिखरना
तुम जब समेटती हो और
जिस तरह समेटती हो
मुझे वो मेरे दिल को भाता है
एक सा तापमान नहीं रहता सदा
जब पिघलना होता है
तो बर्फ सा जम जाता हु
जब जमना होता है तो
तेरे एक हलके से एहसास से
पिघल जाता हु मैं
ये तेरा टूटकर मुझे चाहना
मुझे बहुत भाता है
सच कहु तो
अच्छा लगता है मुझे
तुम्हारे सामने बिखरना
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