Saturday, 13 May 2017

तेरी बांहो का वास













सुनो ...
साँझ होते ही
तन्हा और उदास हो
जाती है मेरी ज़िंदगी,
अब उन्ही मेरी तन्हा
रातो को तेरे प्यार की
बरसात चाहिए लेकर
तेरा हाथ अपने हाथो में
काट सकू बाक़ी की
ज़िंदगी का सफ़र.
मेरे डग-मग करते
क़दमो को बस अब
तेरा विश्वास चाहिए
कट चुका है अब तो मेरा
बरसो का बनवास
मेरे बनवास को
अब "तेरी बांहो का वास " चाहिए. !!

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !