कभी - कभी जब ,
मैं तुम्हारे `लिए
दरवाज़े बंद कर देता हु ,
तो अक्सर
तेरी ही आहट का
इंतजार क्यूँ करने लगता हु ....
क्यूँ ...!
हवा में हिलते , सरसराते
पर्दों को थाम ,
उनके पीछे ,
तेरे होने की चाह
रखता हु .....
और क्यूँ ...!
अक्सर खिड़की बंद करने
के बहाने से
दूर सड़क को ताकता
रहता हु ,सिर्फ
तुझी को आते हुए
देखने की चाह में ..........!
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