तुम्हारे नाम लिखे
मेरे सारे खत मैं
आज भी दराज़ में
से निकालने में डरता हु
कंही मेरे ही लब्जो में
मैं खो ना जांऊ इसलिए
नज़रअंदाज़ कर के
उस दराज़ के पास से
जब भी गुजरता हु
तुम्हारे नाम लिखे वो
मेरे सारे खत आवाज़ कर
मेरा ध्यान खींचने की
कोशिश करते है अंदर से ही
पर दिल को समझाता हु
और आगे निकल जाता हु
उन्हें उसी दराज़ में छोड़ कर
डरता हु की कंही पढ़ा उनको
फिर से तो वो हंसी पल
मेरी आँखों के सामने
होंगे और मैं तुम्हे पाने को
फिर एक बार तड़प उठूंगा
मेरे सारे खत मैं
आज भी दराज़ में
से निकालने में डरता हु
कंही मेरे ही लब्जो में
मैं खो ना जांऊ इसलिए
नज़रअंदाज़ कर के
उस दराज़ के पास से
जब भी गुजरता हु
तुम्हारे नाम लिखे वो
मेरे सारे खत आवाज़ कर
मेरा ध्यान खींचने की
कोशिश करते है अंदर से ही
पर दिल को समझाता हु
और आगे निकल जाता हु
उन्हें उसी दराज़ में छोड़ कर
डरता हु की कंही पढ़ा उनको
फिर से तो वो हंसी पल
मेरी आँखों के सामने
होंगे और मैं तुम्हे पाने को
फिर एक बार तड़प उठूंगा
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