कुछ भी नहीं होता वंहा
जंहा तुम मेरे साथ
नहीं होती हो ..
सन्नाटें की दीवारें
होती है वंहा ..
छत होती है बेक़रारियों की
बेताबियों की ..
ना जमीन की होती है
हरी परत वंहा ..
ना होता है आसमान का
नीला नीला आंचल ..
झूल रहा होता हु मैं
हवाओं के बीच कंही ..
तुम और तुम्हारी
यादें होती है वंहा ..
तेज़-तेज़ दौड़ती हुई
धड़कने होती है ..
मेरे काबू से एकदम बहार
सिलवटें होती है वंहा
अँधेरी रातों की और ..
मैं होता हु एकदम तनहा
तन्हाईओं की जुबान पर
एक नाम मेरा होता है ..
और मेरी जुबान पर तेरा
जंहा तुम मेरे साथ
नहीं होती हो ..
सन्नाटें की दीवारें
होती है वंहा ..
छत होती है बेक़रारियों की
बेताबियों की ..
ना जमीन की होती है
हरी परत वंहा ..
ना होता है आसमान का
नीला नीला आंचल ..
झूल रहा होता हु मैं
हवाओं के बीच कंही ..
तुम और तुम्हारी
यादें होती है वंहा ..
तेज़-तेज़ दौड़ती हुई
धड़कने होती है ..
मेरे काबू से एकदम बहार
सिलवटें होती है वंहा
अँधेरी रातों की और ..
मैं होता हु एकदम तनहा
तन्हाईओं की जुबान पर
एक नाम मेरा होता है ..
और मेरी जुबान पर तेरा
No comments:
Post a Comment